दुनिया में भूख के खिलाफ जंग लड़ रहा सबसे बड़ा योद्धा

दुनिया में भूख के खिलाफ जंग लड़ रहा सबसे बड़ा योद्धा

Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan

बीते शुक्रवार को साल 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2020) का ऐलान कर दिया गया है. इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Program, WFP) को दिया गया है। आपको बता दें, साल 1961 से यह संगठन दुनियाभर में भूख के खिलाफ लड़ाई लाड रहा है. भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाला यह संगठन सुनिश्चित करता है कि खाद्य सुरक्षा (Food security) के जरिए दुनियाभर के सभी देशों की आबादी को मूलभूत सुरक्षा दी जा सके. आइए सबसे पहले जान लेते हैं इस साल के शांति पुरस्कार से जुड़ीं कुछ अहम बातें-

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को क्यों मिला है नोबेल पुरस्कार?

नॉर्वे (Norway) की नोबेल कमेटी (Nobel Committee) ने शुक्रवार को इस साल के नोबल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) के विजेता के नाम की घोषणा कर दी है. इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) को दिया गया है. नोबेल शांति पुरस्कार के इतिहास में यह चौथी बार है जब 300 से अधिक नामांकन हुए थे. नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए इस साल 318 नामांकन आए. इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल हैं. हालांकि इस सूची में शामिल नामों को अगले 50 साल तक के लिए गोपनीय रखा जाता है इसलिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि पुरस्कार आखिर किसे मिलेगा. जो लोग पुरस्कार के लिए नामांकित करने के अधिकारी हैं वो चाहें तो जरूर इसके बारे में बता सकते हैं.

दुनिया के इस सबसे बड़े सम्मान के लिए प्रेस फ्रीडम समूहों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Activist Greta Thunberg) की मजबूत दावेदारी थी, लेकिन ज्यूरी ने इस सब से हट कर वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WPF) को इस पुरस्कार के लिए चुना. पुरस्कार के लिए नाम का चुनाव करने वाली नोबेल कमेटी ने दुनिया भर में भूख मिटाने और पीड़ितों की मदद में वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की भूमिका को अहम बताया है. नॉर्वे की नोबेल कमिटी ने WFP को भूख से लड़ने की कोशिशों, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति के लिए हालात बेहतर करने और जंग और विवाद की स्थिति में भूख को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाने के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया है.

अभी बीच में खबर आई थी आपने भी ज़रूर सुनी होगी कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस बार के शांति पुरस्कार की रेस में शामिल हैं. उनके अलावा हांगकांग के लोग, उइगुर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती, नाटो, व्हिसलब्लोअर जूलियन असांजे, पर्यावरणविद राओनी मेटुकतिरे, एडवर्ड स्नोडन और चेल्सी मैनिंग को भी नामांकित किया गया है. जी हां ये सभी बड़े नाम इस रेस में शामिल थे जिस रेस को WFP ने जीत लिया है.

 WFP मुख्य काम क्या है?

यह दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जो भूख को खत्म करने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के मुद्दे पर विशेष रूप से काम करता है. साल 2019 में WFP ने 88 देशों में 10 करोड़ लोगों को सहायता पहुंचाने का काम किया था. WFP खाद्य सुरक्षा को शांति का औजार बनाने में बहुपक्षीय सहयोग में अहम भूमिका निभाता है. संगठन ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को युद्धग्रस्त क्षेत्रों में भूख को हथियार बनाने के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया है. अक्सर अमीर और विकसित देश गरीब देशों की मेन फ़ोर्स का उपयोग भूख को हथियार बना कर करते हैं. उनकी भूख को मिटने का वादा कर उन्हें अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. बड़े देशों के इस उद्देश्य के खिलाफ WFP डट कर खड़ा है. 

WFP ने 2020 में ऐसा क्या ख़ास कर दिया?

इस साल जब कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया को अपनी जद में ले लिया है, तब WFP ने सबसे भूलभूत जरूरत को अपना हथियार बनाया. हम सभी ने महसूस किया है कि भूख ने हमारे देश के साथ दुनिया भर में कितने लोगों की जान ली है. भूख की वजह से इस साल जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हो गया। ऐसे में WFP ने अपनी कोशिशों को चरम पर पहुंचा दिया है. संगठन का कहना है, कि जब तक इस वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल वैक्सीन नहीं आ जाती, खाना ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है. और हम हर हाल में हर ज़रुरतमंद तक यह सुविधा पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

भारत में WFP की क्या भूमिका है?

भारत में WFP सीधे खाद्य सहायता प्रदान करने के बजाय भारत सरकार को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण सेवाएं प्रदान करता है. WFP इस बात पर ध्‍यान दे रहा है, कि देश के भोजन आधारित सामाजिक सुरक्षा कवच को इतना सक्षम कर दिया जाए कि वह लक्षित जनसंख्‍या तक भोजन को अधिक कुशलता और असरदार ढंग से पहुंचा सके. क्योंकि भारत में फ़िलहाल भोजन की बिलकुल भी कमी नहीं है बशर्ते उसका सही ढंग से प्रबंधन किया जाए.

पिछले साल 2019 में किसे मिला था?

बता दें कि पिछले साल (2019) में इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को 2019 के लिए प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया था. उन्हें उनके शांति प्रयासों खासकर पड़ोसी मुल्क इरिट्रिया के साथ सीमा विवाद  (Border Dispute) को सुलझाने में निर्णायक भूमिका के लिए यह पुरस्कार दिया गया. जानकारी हो कि उन्हें इथियोपिया का नेल्सन मंडेला भी कहा जाता है. अप्रैल 2018 में अबी अहमद इथियोपिया के प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि वह इरिट्रिया के साथ शांति वार्ता को बहाल करेंगे. उन्होंने इरिट्रिया के राष्ट्रपति इसैयस अफवर्की के साथ मिलकर तुरंत इस दिशा में पहल शुरू की. साल 2009 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barak Obama) को भी शांति के नोबल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.

फिलहाल, यह कोरोना वायरस के कारण लगे प्रतिबंधों पर निर्भर करता है कि  शांति के नोबल पुरस्कार की सेरेमनी आयोजित होगी या दूर से ही किसी ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिये पुरस्कार प्रदान करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. यह आने वाले वक्त में पता चलेगा. अभी सिर्फ आधिकारिक घोषणा की गई है.

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