Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan
बीते सप्ताह, लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर ब्रिटिश एयरवेज के आखिरी दो बोइंग 747 विमानों की अंतिम उड़ान देखने के लिए हवाई अड्डे के बाहर कुछ स्थानों पर कई दर्शक एकत्र हुए थे. इन दोनों में से एक बोइंग 747 विमान ब्रिटिश एयरवेज में साल 1994 में और दूसरा साल 1998 में शामिल हुआ था। इन दोनों विमानों ने मिलकर 24,432 उड़ानों को अंजाम दिया और करीब 10 करोड़ 40 लाख मील का सफर तय किया. एयरवेज ने इन दोनों विमानों की अंतिम उड़ान के पल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर भी लाइव स्ट्रीम किए थे, जिन्हें भारी मात्रा में दर्शकों द्वारा देखा और पसंद किया गया.
आधुनिक नागरिक उड्डयन की बात करें, तो दुनिया में बोइंग 747 जैसा कोई दूसरा विमान नहीं है. बता दें, यह एक चौड़ी बॉडी और चार इंजन वाला विमान था जिसने सबसे पहले साल 1969 में हवा में गोते लगाए थे. यह विमान 400-600 यात्रियों को लेकर लंबी दूरी की उड़ान भरने में सक्षम था. इस विमान के निर्माण के पीछे का मुख्य कारण व्यापारिक आवश्यकता था, ताकि व्यापार करने वाले यात्री बिना रुके लंबी दूरी का सफर जल्दी से जल्दी तय कर सकें. हालांकि, इसकी आवश्यकता तब समाप्त हो गई जब इसकी तुलना में छोटे मगर ईंधन कुशल विमानों ने भी इस कार्य को अंजाम देना शुरू कर दिया.
दुनिया के सबसे सम्मानीय विमान बोइंग 747 का जन्म भी किसी कहानी की ही तरह है. जैसा कि हम सभी जानते हैं बोइंग एक अमेरिकी कंपनी है. इस कंपनी ने 747 विमान के लिए साल 1966 में ऑर्डर लेने शुरू किए थे। उस वक्त इसकी प्रसिद्धता इतनी बढ़ी कि उस साल दुनिया की 10 बड़ी एयरलाइंस ने 83 विमानों का ऑर्डर दे डाला था. इनमें से पांच स्वयं अमेरिका की ही एयरलाइंस थीं और बाकी की एक-एक फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन की थी. उसके अगले ही साल भारत की एयर इंडिया ने दो बोइंग 747 विमानों का ऑर्डर कर दिया था और इसके बाद से साल 1995 के बीच 15 और विमानों का ऑर्डर दिया था, इन विमानों ने एयर इंडिया की भी खूब शान बढ़ाई.