Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan
-ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.
-इसे रूस और भारत ने मिलकर विकसित किया है.
-वजन तीन टन है और 450 किमी तक की दूरी तय कर सकती है.
-20 किमी की दूरी के बाद दिशा बदलने की भी क्षमता.
-तीनों सेनाओं में शामिल कर लिया गया है.
-ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में एक कहावत प्रसिद्द है- 'दागो और भूल जाओ'.
हाल ही में ओडिशा तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया गया। जानकारी हो, कि ब्रह्मोस मिसाइल पहाड़ों के पीछे छिपे दुश्मनों का भी सर्वनाश कर सकती है. सफल परीक्षण के बाद ब्रह्मोस मिसाइल एक बार सुर्खियों में है. हालांकि चीन से चल रहे सीमा विवाद के चलते ब्रह्मोस मिसाइल पिछले कई महीनों से ख़बरों में बनी हुई है. तो आइए इस मिसाइल की खासियतें और इसका इतिहास जानते हैं…
दरअसल, ब्रह्मोस दो नदियों के नाम को मिलाकर बनाया गया है. रूस की मोस्कवा और भारत की ब्रह्मपुत्र नदी के नाम पर इस मिसाइल का नाम रखा गया है. क्योंकि इस मिसाइल को बनाने में भारत और रूस दोनों का योगदान है.
बता दें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल देश की सबसे आधुनिक और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल मानी जाती है. मान लीजिए कोई दुश्मन पहाड़ के पीछे छिपा बैठा है तो भी ये मिसाइल उसे खोज कर मारने की क्षमता रखती है. इसे भारत की तीनों प्रमुख सेनाओं में शामिल किया जा चुका है.
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के NPO Mashinostroyeniya ने संयुक्त रूप से मिलकर विकसित किया है, जिसे 12 जून, 2001 को पहली बार में ही सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया था. आईएनएस राजपूत पहला जहाज था, जिस पर साल 2005 में पहली बार मिसाइल को शामिल किया गया था। फिर सुखोई-30 एमकेआई प्लेटफॉर्म पर ब्रह्मोस मिसाइल की सफल एयर लॉन्चिंग किन गई थी. बता दें, ब्रह्मोस मिसाइल एक मध्यम रेंज की रेमजेट सुरपसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे युद्धपोतों, पनडुब्बियों, लड़ाकू विमानों और जमीन से दागा जा सकता है.
क्रूज मिसाइल वो होती हैं जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरने की क्षमता रखती हैं और इसके चलते रडार की आंख धूल झोंक पाने में सफल होती हैं. ब्रह्मोस एक ऐसी मिसाइल है जिसकी शक्ति से चीन की रूह थरथराई हुई है. चीनी सेना का हमेशा यह कहना है कि अरूणाचल प्रदेश में सीमा पर ब्रह्मोस के तैनात होने के बाद से उनके तिब्बत और यूनान प्रांत पर भारी खतरा मंडराने लगा है.