इस व्यक्ति को भारत का ‘वारेन बफेट’ कहा जाता है, 5000 रूपए से 300 करोड़ डॉलर तक का सफर!

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इस व्यक्ति को भारत का 'वारेन बफेट' कहा जाता है, 5000 रूपए से 300 करोड़ डॉलर तक का सफर!

This person is called India's Warren Buffett, Journey from 5000 to 300 million dollars! 

Ashish Urmaliya | The CEO Magazine

अगर आप व्यापार की दुनिया का हिस्सा हैं और 'राकेश झुनझुनवाला' को नहीं जानते, तो अभी आप कच्चे खिलाड़ी हैं। भारतीय शेयर मार्केट की दुनिया में माना जाता है, कि झुनझुनवाला ने जिस शेयर पर पैसा डाल दिया समझो वह सोने का हो गया। इसीलिए इन्हें भारतीय शेयर मार्केट का 'KING' भी कहा जाता है। बिज़नेस की दुनिया से जुड़े ज्यादातर लोग इन्हें भारत का वारेन बफेट कह कर संबोधित करते हैं। वैसे ये किसी इंट्रो के मोहताज नहीं हैं, लेकिन हो सकता है कि, किसी व्यक्ति ने इनका नाम न सुना हो इसलिए बता दिया।

जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारतीय शेयर मार्केट में पैसा कमाना कितना मुश्किल काम है। आये दिन ख़बरें आती रहती हैं कि, शेयर मार्केट में पैसा डूबने की वजह से फलां व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। वहीं दूसरी ओर राकेश झुनझुनवाला नाम का एक ऐसा शख्स है, जिसने मात्र 1200 रूपए के निवेश की शुरुआत के साथ आज 300 करोड़ USD का साम्राज्य खड़ा कर दिया है। तो आइये, झुनझुनवाला के जीवन से जुड़े कुछ अहम पहलुओं पर एक नजर डालते हैं।

राकेश झुनझुन वाला का जन्म 5 जुलाई 1960 को मुंबई में हुआ था। इनके पिता इनकम टैक्स ऑफिसर थे. राकेश के पिता जी को शेयर मार्केट में बड़ा इंटरेस्ट था। इसलिए वे अक्सर घर में अपने दोस्तों के साथ इस बारे में डिसकशन करते रहते थे। तब राकेश छोटे थे। लेकिन इन सब बातों को सुनते रहते थे।एक दिन ऐसी ही राकेश अपने पिता के पास गए और उनसे पूछ बैठे, कि ये शेयर के भाव ऊपर नीचे क्यों होते रहते हैं। तब राकेश के पिता ने उस प्रश्न का जबाब न देते हुए उन्हें न्यूज़ पेपर पढ़ने की सलाह दी। यह झुनझुनवाला का शेयर मार्केट किंग बनने की कहानी का फर्स्ट लेशन था।

अब राकेश थोड़े बड़े हुए और पिता के सामने शेयर बाजार में कदम रखने की इक्छा जाहिर की। तब पिता ने कहा, तुम जिंदगी में जो भी करना चाहते हो करो, लेकिन उससे पहले कम से कम प्रोफ़ेशनल शिक्षा प्राप्त कर लो। बस फिर क्या था, पिता की बात मानते हुए राकेश ने मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया में दाखिल लिया और 1985 में सर्टिफाइड CA  बन गए।

पढ़ाई निपटाने के बाद राकेश फिर पिता के पास गए और बोले की में शेयर मार्केट के क्षेत्र में जाना चाहता हूँ। पिता जी ने फिर एक अड़ंगा डाल दिया। बोले, जाओ लेकिन लेकिन उसके लिए मैं पैसे नहीं दूंगा और न ही तुम अपने दोस्तों से उधार लोगे। इसके लिए खुद काम करें, पैसे कमाएं और शेयर बाजार में लगाएं।

फिर राकेश ने किसी तरह 5000 रूपए इकट्ठे कर लिए, और साल 1985 में अपना पहला इन्वेस्टमेंट किया। तब BSE Sensex 150 हुआ करता था। मुनाफे घाटे का दौर चलता रहा। राकेश को पहली बड़ी सफलता तब मिली। जब उन्होंने टाटा कंपनी के 5000 शेयर्स 43 रूपए प्रति शेयर के रेट से खरीदे और ठीक तीन महीने बाद 143 रूपए प्रति शेयर के रेट पर बेच दिए। साल 1986 से 1989 तक उन्होंने लगभग 2.5 मिलियन का मुनाफा कमाया। इसके बाद राकेश ने सफलता की एक नई इबारत लिख दी। जिन शेयर्स में मुनाफा संभव सा नजर आता उनमें पैसा लगाते और कुछ दिनों में ताबड़तोड़ मुनाफा कमाते। सीढ़ी दर सीढ़ी उनका काम बड़ा होता गया। और आज उनकी कुल संपत्ति 300 करोड़ यूएस डॉलर तक पहुंच गई है। आज उनके पास इतने शेयर हैं कि, अगर हमने जिक्र करना शुरू किया तो कई पन्ने भर जायेंगे, इसलिए इतना जानना ही काफी है।

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