सब्जी बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी,  रह चुके हैं IIM टॉपर

सब्जी बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी,  रह चुके हैं IIM टॉपर
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सब्जी बेचकर खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनीरह चुके हैं IIM टॉपर

Ashish Urmaliya | The CEO Magazine

पढ़ाई को एक अच्छी नौकरी पाने का जरिया माना जाता है, इसी के चलते देश में बड़े-बड़े विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, स्कूल खोले जा रहे हैं। लोग अपने बच्चों को निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकी उनका बच्चा बड़ा होकर एक अच्छी कंपनी में काम करे। लेकिन क्या आप जानते हैं, हमारे देश में ऐसे होनहार भी हैं जो अच्छी पढ़ाई करके बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी के ऑफर्स ठुकरा कर खुद बड़ी कंपनी के मालिक बनने की राह पर हैं और कुछ बन भी चुके हैं।

आज हम बात कर रहे हैं पटना, बिहार से ताल्लुक रखने वाले ऐसे ही हुनरमंद युवा कौशलेंद्र की। कौशलेंद्र  'समृद्धि, एमबीए सब्जीवाला' ब्रांड के मालिक हैं जिसका टर्नओवर  5 करोड़ रूपए से भी ज्यादा है। अपने इस अनोखे व्यापार के ज़रिये कौशलेंद्र आज लगभग 20000 किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं और लगभग 700 लोगों को अपनी कंपनी में रोजगार दे रहे हैं। आपको बता दें, कौशलेंद्र ने यह सब्जी बेचने का बिज़नेस पटना स्कूल के पीछे एक छोटी सी दुकान से शुरू किया था जिसमें पहले दिन उन्होंने सिर्फ  22 रूपए कमाए थे।

बात करें कौशलेंद्र के शुरूआती जीवन की तो ये बिहार के नालंदा जिले के मोहम्मदपुर गांव के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके माता-पिता गांव के स्कूल में ही टीचर हैं। कौशलेंद्र ने अपनी शुरूआती शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से प्राप्त की और फिर इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च जूनागढ़ (गुजरात) से एग्रीकल्चरल इंजिनियरिंग में बी. टेक. भी किया। हर नवयुवा की तरह कौशलेंद्र का सपना भी एक अच्छी नौकरी करने का था सो 2003 में बी.टेक करने के बाद कौशलेंद्र ने कुछ दिनों तक एक इस्राइली फर्म में मात्र 6000 की वेतन पर काम किया। इस नौकरी से उनका मन नहीं भरा तो वे नौकरी छोड़ अहमदाबाद में CAT की तैयारी करने लगे। कड़ी मेहनत की दम पर उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद में एडमिशन ले लिया और एमबीए की पढ़ाई पूरी की। कौशलेंद्र आईआईएम अहमहदाबाद के टॉपर व गोल्डमेडलिस्ट भी हैं।

पढ़ाई के लिए गुजरात में रहने के दौरान उन्होंने महसूस किया की उनका बिहार काफी पिछड़ा हुआ है और वहां के लोग दो वक्त की रोटी के लिए पलायन कर रहे हैं। वहीं से उन्होंने ने फैसला किया कि वे बिहार के लोगों के लिए रोजगार पैदा करने की ओर कदम उठाएंगे। बड़ी-बड़ी कंपनियों के ऑफर

ठुकरा कर कौशलेंद्र 2007 में पढ़ाई पूरी कर बिहार वापस आ गए. 2008 में उन्होंने कौशल्या फाउंडेशन नाम से एक कंपनी बनाई और एक अनोखे 'सब्जी बेचने' के बिज़नेस की शुरुआत की।

कौशलेंद्र का मानना है कि सब्जी खरीदने वाले उपभोक्ता को उसके वाजिब मूल्य से लगभग 10 गुना ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं जिसका सीधा लाभ बिचौलियों को मिलता है। उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। किसान को सब्जियों के उचित मूल्य नहीं मिलते और ग्राहकों को उचित मूल्य पे सब्जियां नहीं मिलती। बस इसी दलील की बिनाह पर उनका बिज़नेस मॉडल स्थापित है और काम कर रहा है। कौशलेन्द्र का 'समृद्धि, एमबीए सब्जीवाला' ब्रांड डायरेक्ट किसानों से संपर्क कर उनकी सब्जियों के उचित मूल्य देता है और डायरेक्ट उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर आसानी से सब्जियां उपलब्ध कराने का काम करता है।

अब कौशलेंद्र ने ग्राहकों की संतुष्टि और समय से ताजा माल पहुंचाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल खोलने का फैसला लिया है। वो कहते हैं, 'हमारा अगला लक्ष्य सब्जी उगाने वाले किसानों के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म स्थापित करना है जिसके जरिए किसान ग्राहकों को डायरेक्ट खेत से ही सब्जी डिलीवर कर सकें और मिडिलमेन की भूमिका ख़त्म हो।

कौशलेंद्र के इस अनोखे इनोवेटिव स्टार्टअप की सफलता से देश के युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए और कुछ बड़ा कर गुजरने की ओर हमेशा कार्यरत रहना चाहिए।

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