सरकार का एक फैसला और हिट हो गया यह बिज़नेस, महीने की आमदनी 50 हजार

सरकार का एक फैसला और हिट हो गया यह बिज़नेस, महीने की आमदनी 50 हजार
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इस बिज़नेस में आर्डर पूरे करने के लिए कंपनियां डबल शिफ्ट में काम कर रही हैं।

Ashish Urmaliya || Pratinidhi Manthan

2 अक्टूबर को मोदी सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को बैन कर दिया था। फैसले के बाद से ही देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक से बने प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल पर पाबंदी लगी हुई है। और इस पाबंदी का सीधा फायदा गोल्ड फाइबर इंडस्ट्री यानी 'जूट उद्योग' को मिल रहा है। जूट से बने प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ चुकी है। जूट मिलों को भारी मात्रा में ऑर्डर्स मिल रहे हैं। हालात ये बन चुके हैं, कि जूट बैग बनाने वाली यूनिट्स को सरकार से अपील करनी पड़ी है जूट बैग्स के और ऑर्डर्स न दें। ऐसे में अगर आप भी कोई नया बिज़नेस शुरू करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो इससे बढ़िया कोई दूसरा मौका नहीं मिलेगा। क्योंकि यह एक ऐसा बिज़नेस है जिसकी शुरुआत आप बिलकुल कम निवेश के साथ कर सकते हैं।

हालात क्या बनें हैं उस पर नजर डाल लेते हैं-

-बिज़नेस स्टैण्डर्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिरला कारपोरेशन की यूनिट बिरला जूट मिल्स को 20 लाख जूट बैग्स का आर्डर पूरा करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ानी पड़ी है।

-बिरला जूट मिल्स के असिसटेंट वाइस प्रेसिडेंट आदित्य शर्मा के मुताबिक, उन्होंने इस यूनिट की शुरुआत पिछले साल की थी, जिसकी क्षमता एक महीने में

1,50,000 बैग बनाने की थी।

-बिरला जूट मिल्स अगले दो महीने में एक नए स्थान पर इतनी ही क्षमता वाली एक नई यूनिट की शुरुआत करने जा रहा है, जिससे कि डिमांड को पूरा किया जा सके।

-भारतीय जूट मिल्स असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और एक जूट मिल के मालिक संजय कजारिया के मुताबिक, जूट बैग्स की बढ़ती डिमांड के चलते कुल जूट उत्पादन क्षमता में 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी की जा रही है।

-जूट के बैग्स की मांग बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगा बैन है। विदेशों में तो इसका क्रेज पहले से ही था लेकिन अब देश के भीतर भी रिटेलर्स और दूकानदार जूट बैगों की तरफ मुड़ रहे हैं। इसके साथ ही ग्राहक भी रियूजेबल थैलों का इस्तेमाल करने लगे हैं। 

इस व्यापार को समझते हैं!

यूनिट शुरू करने में इतना खर्चा आएगा- मिनिस्‍ट्री ऑफ टेक्‍सटाइल्‍स के हैंडीक्राफ्ट डिवीजन के अनुसार, अगर आप जूट बैग बनाने वाली यूनिट लगाना चाहते हैं तो आपको कम से कम 5 सिलाई मशीन खरीदनी होंगी। इनमें से 2 हैवी ड्यूटी वाली होनी चाहिए। इन मशीनों के लिए आपको लगभग 90 हजार रूपए खर्च करने होंगे। इसके अलावा आपको करीब 1 लाख 5 हजार रुपए की वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता होगी। अन्य खर्चों की बात करें तो, फिक्स्ड एसेट्स और ऑपरेटिंग खर्च आदि पर लगभग 58 हजार रुपये का खर्च आएगा। यानी आपके इस जूट बैग मेकिंग प्रोजेक्ट में कुल 2.5 लाख रुपए का खर्च आएगा। 

इसी कुल लागत के आधार पर आपके लिए लोन सुविधा भी उपलब्ध है। इसमें एक माह का रॉ-मटेरियल और कर्मचारियों का वेतन आदि शामिल होगा। इस प्रोजेक्ट में आपको कुल लागत का 65 फीसदी मुद्रा लोन और 25 फीसदी ब्याज मुक्त लोन नेशनल सेंटर फॉर जूट डायवर्फिकेशन (NCFD) से मिलता है। मतलब, काम शुरू करने के लिए आपको अपनी जेब से मात्र 25 हजार रुपए खर्च करने होंगे।  और इतने रूपए का इंतजाम आप आसानी से कर सकते हैं।

प्रोडक्शन कितना होगा?

अगर आप 5 सिलाई मशीनों वाले प्रोजेक्ट की शुरुआत करते हैं, तो आप 9 हजार शॉपिंग बैग, 6 हजार लेडीज बैग, 7500 स्‍कूल बैग, 9 हजार जेंट्स हैंड बैग, 6 हजार जूट बम्‍बू फोल्‍डर सालाना उत्पादित कर पाएंगे।

आमदनी-  एक साल में रॉ मैटेरियल, रेंट, सैलरी, डेप्रिशिएसन, बैंक इंटरेस्‍ट आदि पर लगभग 27.95 लाख रुपये का खर्च आएगा। सारे उत्पाद की बिक्री के बाद आपका सेल्स रेवेन्यू 32.25 लाख रुपये होगा। इस तरह एक साल में आपको 4.30 लाख रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट होगा यानी, आपको हर महीने कम से कम 36 हजार की बचत तो होगी ही। और अगर जगह आपकी खुद की है तो आपका रेंट का पैसा भी बचेगा।

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