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शिक्षा नीति में बदलाव- अब विद्यार्थी ग्रेजुएशन के बाद कर पाएंगे ‘पीएचडी’ 

Manthan

शिक्षा नीति में बदलाव- अब विद्यार्थी ग्रेजुएशन के बाद कर पाएंगे 'पीएचडी'

Ashish Urmaliya || The CEO Magazine

भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(UGC) देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में संचालित स्नातक (Graduation) के पाठ्यक्रमों की अवधि 3 से बढ़ाकार 4 साल किये जाने पर विचार कर रहा है। और इन चार सालों की पढ़ाई के बाद विद्यार्थी सीधा पीएचडी के लिए पढ़ाई कर पाएंगे। इसके लिए विद्यार्थियों का स्नाकोत्तर होना अनिवार्य नहीं रहेगा। आपको बता दें, इस बात की पुष्टि UGC के अध्यक्ष प्रोफेसर डी.पी. सिंह द्वारा की गई है।

वर्षों से चली आई नीति में बड़ा फेरबदल-

प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत में हमेशा से ही उच्चतर शिक्षा का एक विशिष्ट स्थान रहा है। प्राचीन भारत में जब नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय थे, तब से ही विश्वविद्यालयों में यह शिक्षा नीति चली आ रही है। इस नीति में स्नातक पाठ्यक्रम तीन साल और स्नाकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का होता है। स्नाकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही विद्यार्थी पीएचडी की पढ़ाई में प्रवेश ले सकता है। लेकिन अब UCG  इस शिक्षा व्यवस्था में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है। इसके लिए UCG द्वारा एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। और इस समिति ने UCG को शिक्षा नीति में बदलाव से संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में इस बदलाव के किये बहुत सी सिफारिशें भी की गई हैं।

देश में कुछ पाठ्यक्रम अभी भी 4 साल के हैं!

यह सारे बदलाव सिर्फ शोध (पीएचडी) को केंद्र में रख कर किये जा रहे हैं। लेकिन इसमें कई बातें सामान रहेंगीं, जैसे- जो भी विद्यार्थी चार साल स्नातक की पढ़ाई करने के बाद पीएचडी नहीं करना चाहता, वह स्नाकोत्तर कर सकता है। इसके अलावा जो भी विश्वविद्यालय तीन वर्षीय परंपरागत स्नातक पाठ्यक्रम चलाना चाहता है, उन्हें इसकी छूट मिलेगी। वर्तमान में भी ऐसे कुछ स्नातक पाठ्यक्रम हैं जिनमें 4 साल का वक्त लगता है, जैसे- चलर ऑफ टेक्नॉलॉजी (बीटेक) या बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई)। लेकिन वर्तमान में विद्यार्थी इसके बाद पीएचडी में दाखिला नहीं ले सकते। इस बदलाव के बाद ज़रूर ले पाएंगे।

2020 में लागू हो जाएगी नीति-

शिक्षा नीति में बदलाव के लिए जिस स्पेशल कमेटी का गठन किया गया था, उसने अपनी रिपोर्ट में स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि 3 से बढ़ाकर 4 साल करने की सिफारिश की है। इसके अलावा इस कमेटी ने कई अन्य तरह के बदलावों की सिफारिशें भी की हैं। प्रो. डी.पी. सिंह के बताये अनुसार, "हर एक सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यह नई नीति देश को नई दिशा देने वाली होगी, इसलिए हर एक बिंदु को अच्छी तरह से परख कर ही लागू किया जायेगा। और फिर यह नीति अगले साल यानी 2020 में लागू कर दी जाएगी।

-विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

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