सत्ता चाहत की मजबूरी ने अखिलेश को ला ही दिया नोएडा, कभी आने से बहुत कतराते थे 
Politics

सत्ता चाहत की मजबूरी ने अखिलेश को ला ही दिया नोएडा, कभी आने से बहुत कतराते थे

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस अपशगुन से भ्रम टूटा

Jhansi Bureau

सत्ता चाहत की मजबूरी ने अखिलेश को ला ही दिया नोएडा, कभी आने से बहुत कतराते थे

रिपोर्टर निखिल कुमार सिंह

अपने मुख्यमंत्री काल में गौतमबुद्ध नगर को सत्ता जाने के लिहाज से अपशकुन मान दूरी बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस अपशगुन से भ्रम टूटा है या फिर सत्ता पाने की मजबूरी में उनके सारथी बने गठबंधन के साथी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के लिए नोएडा में अपना चुनावी रथ लेकर आना पड़ रहा है।

अब तक जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर एक बार भी सपा अपना खाता नहीं खोल सकती है। ऐसे में इस बार उन्हें उम्मीद रहेगी कि जिले में सपा का खाता खुल जाएगा। अखिलेश यादव जिले में अंतिम बार 2012 में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए दनकौर आए थे।

अपने मुख्यमंत्री काल में वह मानते थे कि सत्ता जाने के लिहाज से गौतमबुद्ध नगर अपशकुन है। जो यहां आता है छह माह में उसकी सत्ता चली जाती है। इस कारण अपने कार्यकाल में गौतमबुद्ध नगर में शुरू योजनाओं का लोकार्पण उन्होंने लखनऊ से ही कर दिया था। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में गाजियाबाद, बुलंदशहर व अलीगढ़ में आए। जिले की सीमा के बेहद करीब लेकिन जिले में कदम नहीं रखने की हिम्मत नहीं जुटा सके थे।

प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने पर योगी आदित्यनाथ ने गौतमबुद्ध नगर में लगभग दस बार आकर अखिलेश यादव के भ्रम को तोड़ा था। इसकी चर्चाएं भी लगातार हुई। अब योगी और अखिलेश के आने के बाद दोनों में से किसी के एक के हाथ ही सत्ता हाथ में आयेगी। ऐेसे में यह जिला किसके लिए अपशगुन साबित होगा यह दस मार्च को वोटों की गिनती होने के बाद ही पता चल सकेगा।

मालूम हो कि विधानसभा चुनाव 2022 में सपा व रालोद के बीच गठबंधन हुआ है। जिले में विधानसभा की तीन सीटें हैं। नोएडा व दादरी सीट सपा व जेवर रालोद के खाते में गई है। जिले में आ रहे अखिलेश यादव पार्टी को मिली सीट दादरी व नोएडा में जाएंगे, लेकिन जेवर में नहीं जायेगे।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बना रखी है दूरी

अब तक पूर्व मुख्यमंत्री बसपा प्रमुख मायावती जिले में आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। वह इस बार भी गाजियाबाद में आज प्रचार करेगी। जिसमें नोएडा व दादरी के प्रत्याशियों के लिए भी वहां से ही वोट देने की अपील इन क्षेत्र के वोटरों से करेगी।

बसपा प्रमुख मायावती अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में वर्ष 2011 में नोएडा में सतीश चंद मिश्र के एक वैवाहिक कार्यक्रम में सेक्टर-62 में आखिरी बार आई थी। उसके बाद हुए चुनाव में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। कुर्सी जाने के बाद से अब तक वह इस जिले से दूरी बनाएं हुए है।

ध्यानगुरु रघुनाथ येमूल गुरुजी की दृष्टि से आषाढ़ की यात्राएँ : भक्ति, ऊर्जा और पर्यावरण का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक समन्वय

यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता! (भाग–3) - ठाकुर दलीप सिंघ जी

ताज इंडियन ग्रुप अपने परिचालन के पहले वर्ष में ही भारत के शीर्ष 4 जूस निर्यातकों में हुआ शामिल

मेगामॉडल वैशाली भाऊरजार को तीन बार सम्मानित कर चुके हैं सिंगर उदित नारायण

गांव से राष्ट्र निर्माण तक,कपिल शर्मा की प्रेरणादायक कहानी