News

मजबूरी में हुआ था Maggi का अविष्कार, अब साल भर में इतने करोड़ छापती है कंपनी

Pramod

Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan

हमारे देश में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने मैगी शब्द न सुना हो या इसके बारे में जानता ना हो. कहने के लिए मात्र दो मिनट लेकिन असल मनयनो में देखें तो लगभग 5 मिनट में झटाक से बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी (Maggi) से आज हर कोई वाकिफ है. बच्चा हो या बूढ़ा या फिर जवान आज हर कोई मैगी का दिवाना है. लगभग हर दूसरे घर में आपको मैगी के दो-चार पैकेट रखे मिल जाएंगे। हालांकि ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि मैगी का जन्म कब और कैसे हुआ? फटाफट बनकर तैयार हो जाने वाले नूडल्स को मैगी नाम किसने सुर किन परिस्थितियों में दिया? पिछले दिनों हुए तमाम विवादों के बाद भी इसे बैन क्यों नहीं किया जा सका? आखिर वजह क्या है जो मैगी आज भी करोड़ों ज़ुबानों का स्वाद बनी हुई है? तो आइए इस आर्टिकल के ज़रिए जानते हैं मैगी के पीछे की पूरी कहानी संक्षिप्त में…

मजबूरी का नाम Maggi (ये नाम मजबूरी में पड़ा था)-

साल 1872 में स्विट्जरलैंड में रहने वाले जूलियस मैगी ने एक कंपनी शुरू की थी जिसका नाम उन्होंने अपने सरनेम पर यानी Maggi रखा था. जानकारों के मुताबिक साल 1872 और आस-पास के वर्षों का दौर स्विट्जरलैंड में इंडस्ट्रियल क्रांति का दौर था. इस दौर में वहां की महिलाओं को लंबे समय तक फैक्ट्रियों में काम करने के बाद घर जाकर कम समय में खाना बनाना होता था. इंडस्ट्रियल क्रांति के उस मुश्किल समय में स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने जूलियस मैगी की मदद ली थी. और इस तरह मैगी का जन्म मजबूरी में हुआ ताकि महिलाएं ज्यादा से ज्यादा समय तक काम कर पाएं और उन्हें खाना पकाने में लगने वाले वक्त की भी फ़िक्र न रह जाए.  इस दौरान जूलियस ने प्रोडक्ट का नाम अपने सरनेम पर रख दिया. हालांकि  उनका पूरा नाम जूलियस माइकल जोहानस मैगी था. इन्हीं की कंपनी द्वारा साल 1897 में जर्मनी में सबसे पहले मैगी नूडल्स दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया था.

मैगी की पहुंच घर-घर तक करने का काम Nestle ने किया-

मीडिया में आई एक खबर के मुताबिक, जूलियस मैगी नामक महिला उद्यमी ने शुरुआत में प्रोटीन से भरपूर खाना और रेडीमेड सूप बनाकर बेचना शुरू किया था. लेकिन बाद में मैगी बनाने का काम शुरू किया इस काम में उनके दोस्त फ्रिडोलिन शूलर ने उनकी काफी मदद की जो पेशे से फिजिशियन थे. इस दो मिनट में बनने वाली मैगी को लोगों ने खूब पसंद किया. साल 1912 तक मैगी ने अमेरिका और फ्रांस जैसे कई देशों के पूरे मार्केट में अपना कब्ज़ा जमा लिया था. मगर इसी साल यानी 1912 में जूलियस मैगी का निधन हो गया. उनकी मौत का असर मैगी यानी उनकी कंपनी पर भी पड़ा और लंबे समय तक इसका कारोबार धीरे-धीरे चलता रहा या कह लें धंदा मंदा हो गया. फिर साल 1947 आया और नेस्ले कंपनी ने मैगी को खरीद लिया और उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग पूरी ताकत झोंक दी यही स्वाद तो था ही. यही वजह रही की आज मैगी दुनिया के लगभग हर घर के किचन में पहुंच चुकी है.

36 साल पहले इस तरह भारत आई थी Maggi-

साल 1947 में जैस ही 'Maggi' का स्विट्जरलैंड की कंपनी Nestle के साथ विलय हुआ. उसके बाद Nestle इंडिया लिमिटेड Maggi को साल 1984 में भारत लेकर आ गई. उस वक्त किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि मैगी भारत के मार्किट में अपने पैर जमा पाएगी और करोड़ों लोगों की पसंद बन जाएगी. लेकिन ये बहुत जल्द ही ममुकिन हो. मैगी प्रोडक्ट और इसका मिनटों में बनने वाला फॉर्मूला लोगों के सर चढ़कर बोलै और ये कुछ ही दिनों में सबकी ज़ुबान पर चढ़ गई.

मैगी के विज्ञापनों पर कितने करोड़ खर्च किए जाते हैं?

कई बिज़नेस रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेस्ले इंडिया विज्ञापन पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिसमें मैगी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. मैगी भारत का मोस्ट वैल्यूड ब्रांड बन चुकी है लेकिन असल में स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले जो अपने आप में दुनिया भर में मशहूर है यह मैगी का सहयोगी ब्रांड है. ऐसा देखा गया है कि अधिकतर लोग नेस्ले की जगह मैगी को ही मुख्य ब्रांड मानते हैं जो कि सत्य नहीं है.

भारीतय मार्केट में अपने पांव जमाने के लिए मैगी ने ये किया-

नेस्ले ने 80 के दशक में पहली बार जब मैगी ब्रांड के अंतर्गत नूडल्स लॉन्च किए वो शहरी लोगों के लिए नाश्ते का सबसे अच्छा विकल्प बन चुके थे. कंपनी ने भारत में सबसे पहले नूडल्स के साथ बाजार में कदम रखा. हालांकि, भारत में मैगी का अन्य देशों जैसा चमत्कार देखने को नहीं मिला कि रातों रत सुपर हिट हो जाए. लेकिन समय के साथ भारत के लोगों की लाइफस्टाइल में चेंज आया और साल 1999 के बाद 2 मिनट में तैयार होने वाली मैगी हर घर के किचन की जरूरत बनने लगी. चमत्कार होने में समय लगा लेकिन ज़बरदस्त हुआ.

 नूडल्स का सालाना बाजार 1000 करोड़ बिक्री-

समय के साथ नेस्ले ने मैगी ब्रांड के अंतर्गत अन्य कई दूसरे प्रोडक्ट भी लॉन्च किए. इनमें सूप, भुना मसाला, मैगी कप्पा मैनिया इंस्टैंट नूडल्स जैसे प्रोडक्ट हैं. बता दें, भारत में मैगी के 90 फीसदी प्रोडक्ट खासतौर पर भारत की विविधता से भरी संस्कृति को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं और ये बाकी दुनिया में नहीं मिलते. नेस्ले कंपनी अब भारत के मार्किट को ठीक तरह से भांप चुकी  लोकल उद्यमियों को चुनौती देने में लगी हुई है. भारत में नेस्ले ग्रुप के कुल मुनाफे में सिर्फ मैगी की ही करीब 25 फीसदी हिस्सेदारी हो चुकी है. रकम की बात करें तो इसका सालाना आंकड़ा करीब 1000 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच चुका है.  अब इस बाजार में आधा दर्जन से अधिक नए ब्रांड आ चुके हैं. हालांकि, इनमें से ज्यादातर रिटेल चेनों के अपने खुद के ब्रांड हैं.

ध्यानगुरु रघुनाथ येमूल गुरुजी की दृष्टि से आषाढ़ की यात्राएँ : भक्ति, ऊर्जा और पर्यावरण का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक समन्वय

यदि भारत ने विश्व पर इंग्लैंड की तरह साम्राज्य स्थापित किया होता! (भाग–3) - ठाकुर दलीप सिंघ जी

ताज इंडियन ग्रुप अपने परिचालन के पहले वर्ष में ही भारत के शीर्ष 4 जूस निर्यातकों में हुआ शामिल

मेगामॉडल वैशाली भाऊरजार को तीन बार सम्मानित कर चुके हैं सिंगर उदित नारायण

गांव से राष्ट्र निर्माण तक,कपिल शर्मा की प्रेरणादायक कहानी