डिप्रेशन जैसा ही होता है ‘सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर’ 
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डिप्रेशन जैसा ही होता है ‘सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर’

Manthan

डिप्रेशन जैसा ही होता है 'सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर'

Ashish Urmaliya | The CEO Magazine

बदलते हुए दौर में, हर रोज नई-नई तरह की बीमारियां निकल कर सामने आ रही हैं। जिनका पुरातन काल में कोई अस्तित्व भी नहीं था। इसका ठीकरा हम किसके सिर फोड़ें ?

-विज्ञान व तकनीक पर?

-प्रदुषण की वजह से दिन-प्रतिदिन खराब हो रहे वातावरण पर?

-खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट पर?

-लोगों की भागदौड़ भरी जिंदगी पर?

-या फिर सरकारों पर?

देखा जाये तो इस समस्या के पीछे कहीं न कहीं इन सभी कारकों का योगदान है और इनकी उत्पत्ति में हम भी बराबर के सहयोगी हैं।

डिप्रेशन (अवसाद) के बारे में तो आपने खूब पढ़ा-सुना होगा। आम जनता से लेकर कई बड़ी मशहूर हस्तियां भी इस बिमारी का शिकार हो चुकी हैं। इनमें से कुछ जैसे- दीपिका पादुकोण, हनी सिंह, नेहा कक्कड़, जायरा वसीम (सीक्रेट सुपरस्टार), हेज़ल कीच (युवराज सिंह की पत्नी) आदि ने तो इस विषय पर खुलकर बात भी की है।

पहले डिप्रेशन को समझ लेते हैं !

डिप्रेशन की इस बीमारी से जूझ रहे लोगों में आमतौर पर अनिद्रा या अधिक सोना, दैनिक गतिविधियों में रूचि कम होना, चिड़चिड़ापन या अधिक गुस्सा आना, आत्म घृणित होना व एकाग्रता न होना जैसे लक्षण होते हैं। डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति बिमारी की चरम सीमा तक पहुंचने पर आत्महत्या जैसे कदम उठा सकता है। यह बीमारी दुनिया भर के लोगों को अपना शिकार बना रही है। सही समय पर उचित इलाज न करा पाने पर यह समस्या और भी गंभीर होती जाती है। हालांकि, उचित समय पर पेशेवर चिकित्सक से इलाज कराने पर इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, आज भारत दुनिया के सबसे ज्यादा डिप्रेशन प्रभावित देशों की लिस्ट में पहले स्थान पर है। ये तो बात हुई डिप्रेशन की। लेकिन इस आर्टिकल में हम मुख्य रूप से जिस बीमारी के बारे में बात करने जा रहे हैं, वह है- 'सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर'।

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर:-

यह बीमारी डिप्रेशन तो नहीं होती लेकिन इसके लक्षण लगभग डिप्रेशन जैसे ही होते हैं। इसीलिए इसकी तुलना अक्सर डिप्रेशन से की जाती है। मौसम बदलते ही, जिंदगी के साथ शरीर में भी कई तरह के बदलाव आते हैं। कई बार मौसम के बदलाव से या खराब मौसम के चलते लोगों के मूड में बदलाव आता है और वे चिड़चिड़ाना शुरू कर देते हैं, उनका किसी काम में मन नहीं लगता, नकारात्मक विचार आते हैं व गुस्सा बढ़ जाता है। मोटे तौर पर कहें तो मनोदशा पूरी तरह से बिगड़ी रहती है। बस इन्हीं सब समस्याओं से ग्रसित व्यक्ति को 'सीजनल अफैक्टिव डिसऑर्डर' बिमारी का शिकार कहते हैं।

सीधे तौर पर कहें तो, सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर मौसम के प्रभाव से होने वाला एक विकार है। यह मौसम के साथ आता है और मौसम के साथ ही चला जाता है। आमतौर पर यह समस्या सर्दी के मौसम के साथ शुरू होती है और गर्मी आते-आते ठीक होने लगती है। द फिजिशियन एंड स्पोर्ट्समेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक रिव्यू के मुताबिक, प्रत्येक वर्ष 1 से 10 प्रतिशत लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं।

मुख्य लक्षण-

लगातार मूड खराब रहना, रोजमर्रा के कामों में कम रूचि होना, चिड़चिड़ाहट, निराशा, अपराधबोध, मन में नाकाबिलियत वाली भावना होना, दिन भर सुस्ती व नींद महसूस करना, देर तक सोना सुबह व उठने में कठिनाई होना, वजन बढ़ना आदि।

मुख्य कारण-

हालांकि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर जैसी समस्या के सटीक इलाज का पता अब तक नहीं लग पाया है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि, सीजन के साथ हमारे मस्तिष्क में होने वाले कुछ हार्मोनल बदलाव इसकी वजह बनते हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ रिपोर्ट्स से यह भी पता लगा है कि, इस बिमारी का सबसे ज्यादा प्रभाव सर्दियों के मौसम में ही इसलिए पड़ता है। क्योंकि सर्दी के दिनों में सूर्य की रौशनी की कमी के कारण लोगों के मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक हार्मोन की वृद्धि होने लगती है, जो हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है।

बीमारी से बचने के उपाय-

  1. इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को दिन में कई बार सूर्य के संपर्क में आना चाहिए। अगर किसी कारण वश आप सूर्य की प्राकृतिक रौशनी नहीं ले पाते हैं तो, आप जहां पर भी हैं वहां अच्छी रौशनी रखें। कमरे में बिना लाइट के ना रहें, यह आपकी स्थिति को खराब कर सकता है।
  1. आपका खान-पान कैसा है, इस बात पर ध्यान दें। बिना सोचे समझे कुछ भी न खाएं। मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अधिक करें। साथ ही, एक्सरसाइज करें।
  1. वैसे तो इस बिमारी के चलते व्यक्ति की किसी से भी मिलने की इच्छा नहीं होती। लेकिन फिर भी उसे कोशिश करनी चाहिए कि वो सामाजिक हो, अपने दोस्तों के साथ ज्यादा वक्त बिताये और नई-नई जगहों पर घूमें। ऐसा न करने पर हालात बिगड़ सकते हैं।
  1. अगर ये सभी उपाय मरीज के ठीक होने में मददगार साबित नहीं होते हैं तो, वह किसी विशेषज्ञ की सलाह भी ले सकते हैं। विशेषज्ञ कुछ सवाल-जवाब करेगा और फिर एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयों के जरिये इलाज करेगा।
  2. इसके अलावा विशेषज्ञ कॉगनेटिव बिहेवरल थेरेपी से भी इसका इलाज कर सकता है।

आमतौर पर इस बीमारी को डिप्रेशन का ही एक प्रकार माना जाता है, लोग इसे बाइपोलर डिसऑर्डर भी कहते हैं। बीमारी के लक्षण डिप्रेशन की तरह होने के कारण कई बार सामान्य डॉक्टर इस बीमार का ठीक से पता नहीं लगा पाते। इसलिए किसी अच्छे विशेषज्ञ से ही अपना इलाज कराएं।

हाइलाइट्स: -पुरषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है यह समस्या।

                      -लक्षण डिप्रेशन जैसे, लेकिन यह बीमारी डिप्रेशन नहीं।

                       -सर्दियों के मौसम में बढ़ती है यह समस्या।

                       -दवाइयों के अलावा कॉगनेटिव बिहेवरल थेरेपी से भी हो सकता है इसका इलाज।

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