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कश्मीर के सबसे खतरनाक UAPA एक्ट को समझिये

Lubna

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने घाटी में एक सोशल मीडिया यूजर को धर लिया है। यूजर पर इल्जाम है, कि उसने सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल किया है, इसके चलते उस पर इस एक्ट की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

दरअसल, एक सोशल मीडिया यूजर ने हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी का एक वीडियो अपलोड किया था, जिसे लोग लगातार शेयर करने लगे थे। और फिर इसी गलत काम के चलते उस पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act ) लगाया है। पुलिस ने इस कानून की सख्त धाराओं में उसके खिलाफ केस दर्ज किया है।

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ महीनों से इंटरनेट सेवाएं बंद थीं, इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी बैन लगा हुआ है। बैन के बावजूद भी लोग प्रॉक्सी सर्वर के जरिये इसका इस्तेमाल कर रहे थे। गिलानी का वीडियो भी ऐसे ही प्रॉक्सी सर्वर से अपलोड किया गया था।

सोशल मीडिया के यूज पर क्यों लगा UAPA-

यह कानून आतंकवाद और नक्सलबाद से लड़ने के लिए बनाया गया है। पुलिस ने सोशल मीडिया यूजर को इस एक्ट की कई कठोर धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया है और मुकदमा दर्ज कर लिया है। FIR में कहा गया है, कि इन शरारती तत्वों द्वारा प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल कर अफवाहें फैलाई जा रही हैं और यह कश्मीर घाटी के मौजूदा हालात की दृष्टि से बेहद खतरनाक है। इन अफवाहों की वजह से अलगाववादी विचारधारा वाली ताकतों को हवा मिलती है और आतंक प्रचारित-प्रसारित होता है। इसीलिए इस यूजर पर UAPA की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। 

कश्मीर में कुछ वेबसाइटों के उपयोग की इजाजत-

कश्मीर में 6 महीने तक इंटरनेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ था। लेकिन अब इस बैन पर कुछ ढील दे दी गई है, लोग कुछ वेबसाइट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर अभी भी पूरी तरह से बैन लगा हुआ है। 14 फरवरी को इस बारे में आदेश जारी करते हुए सरकार ने सभी सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगा दिया है। सरकार का कहना है, कि अलगाववादी ताकतें सोशल मीडिया के जरिये माहौल को खराब करने की कोशिश में लगी हुई हैं।

UAPAएक्ट है क्या? कितने सख्त हैं इसके प्रावधान-

यह कानून देश के भीतर और देश के बाहर गैरकानूनी, आतंकी, नक्सली गतिविधियों को रोकने वाला सख्त कानून है। साल 1967 के इस कानून में पिछले साल कुछ संसोधन किये गए थे, जिसके बाद यह और सख्त बन चुका है। UAPA कानून का मुख्य मकसद केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों और राज्यों को आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए अधिकार देना है।

– यह कानून कश्मीर के साथ पूरे देश में लागू है।

– इस कानून के तहत किसी भी भारतीय या विदेशी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

– अपराध का लोकेशन या अपराध किस तरह का है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

– ऐसा अपराध जो देश के खिलाफ है और विदेशी धरती पर किया गया है, उस पर भी ये मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।

– भारत में रजिस्टर विमान, जहाज में हुआ अपराध भी इस एक्ट के अंतर्गत आता है।

– किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि चाहे वह व्यक्तिगत हो या सामूहिक, जिससे देश की सुरक्षा, अखंडता व एकता को खतरा हो। उसमें इस एक्ट का इस्तेमाल किया जाता है।

– साल 2019 में इस एक्ट में संसोधन हुआ था, इस संसोधन के बाद देश की नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) को कुछ अधिकार दे दिए गए हैं।

– इस संसोधन के तहत NIA किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि में शामिल संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सकता है।

– 2019 के इस संसोधन के पहले सिर्फ किसी समूह को ही आतंकी संगठन घोषित किया जा सकता था।

कई मशहूर लोग हो चुके हैं गिरफ्तार-

2007 में इस एक्ट के तहत मानव अधिकार कार्यकर्ता एवं मशहूर डॉक्टर विनायक सेन को हिरासत में लिया गया था। उन पर नक्सल गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। 2018 में इसी एक्ट के अंतर्गत दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले सुधीर धवाले को गिरफ्तार किया गया था। इसी साल आदिवासियों के हित के लिए काम करने वाले महेश राउत को गिरफ्तार किया गया था। 2018 में ही मशहूर कवी वरवरा राव भी इसी एक्ट के तहत गिरफ्तार हुए थे। इसके अलावा नक्सल गतिविधियों के आरोप में आदिवासियों के अधिकार के लिए काम करने वाली सुधा भारद्वाज, पत्रकार गौतम नवलखा, रिसर्च स्कॉलर रोना विल्सन को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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