Career

भारत में इनसे ज्यादा पढ़ा लिखा न कोई हुआ और न होगा।

Lubna

Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

भारत में इनसे ज्यादा पढ़ा-लिखा शख्स न कोई हुआ है न कोई होगा। आज में बात करने जा रहा हूं, डॉ श्रीकांत जिचकर के बारे में.

महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले डॉ. जिचकर ने स्कूली शिक्षा प्राप्त करी और फिर एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करके डॉक्टर के तौर पर करियर की शुरुआत की। इसी दौरान उन्होंने नागपुर से 'एमडी' यानी डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद साल 1978 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विसेस के एग्जाम में बैठने का फैसला किया। फिर उनका सिलेक्शन भारतीय पुलिस सेवा(आईपीएस) में हो गया। लेकिन उन्होंने इस नौकरी को ठुकरा दिया। क्योंकि इन्हें एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में सेलेक्ट होना था, (गौर कीजियेगा, सिर्फ सेलेक्ट होना था)।

एक बार फिर से सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया और इस बार उन्हें आईएएस की रैंक प्राप्त हो गई. उनका चयन हो गया. आईएएस की नौकरी करते हुए 4 महीने ही हुए थे, कि उन्होंने इससे भी स्तीफा दे दिया। वजह थी, राजनीति।

अब डॉ. साहब चुनाव चुनाव लड़ने वाले थे। 26 साल की उम्र में चुनाव लड़ के विजयी हुए और देश के सबसे युवा विधायक बने।

आइये अब श्रीकांत जिचकर की अन्य डिग्रीयों की बात कर लेते हैं। जिनकी संख्या 20 से अधिक है और प्रत्येक डिग्री में इन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया था।

विधायक बनने का बाद डॉ. जिचकर देश के सबसे कम उम्र के मंत्री बने, आम तौर पर मंत्री लोग एक, दो, तीन या ज्यादा से ज्यादा 4 विभाग सँभालते हैं लेकिन इनको महाराष्ट्र सरकार ने सँभालने के लिए 14 विभाग दिए थे। मंत्री रहते हुए ये सभी विभाग सँभालते हुए इन्होने इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया, फिर डिप्लोमा इन मैनेजमेंट और एमबीए की पढ़ाई पूरी करी। बात यहीं  ख़त्म नहीं होती। फिर जिचकर साहब ने पत्रकारिता की पढ़ाई करी, बैचलर्स ऑफ़ जर्नलिज्म की डिग्री हासिल की। ये सब कर लिया उसके बाद संस्कृत भाषा में डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर की डिग्री प्राप्त की, जो किसी भी युनिवेर्सिटी की सबसे उच्च, हाईएस्ट डिग्री मानी जाती है। अभी ख़तम नहीं हुआ आप सुनते सुनते थक जायेंगे ये करते करते नहीं थके। कोई इतना ज्यादा कैसे पढ़ सकता है भला। हमसे तो नौकरी के साथ कम्प्यूटर का एक साल का डिप्लोमा भी नहीं किया जाता।

इसके अलावा डॉक्टर जिचकर ने सोशलॉजी, हिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, इंग्लिश लिटरेचर, साइकोलॉजी, फिलॉसफी, पोलिटिकल साइंस, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व जैसे विषयों में एमए किया। और भी खास बात यह है कि ये सारी डिग्रीयां मैरिट में रहकर हासिल की। इसी दौरान उन्हें पढ़ाई के लिए कई बार गोल्ड मैडल भी मिला। आप यकीन नहीं मानेंगे, साल 1973 से लेकर 1990 तक, मतलब 17 सालों में उन्होंने 42 यूनिवर्सिटीज एग्जाम दिए।    

अब बात कर लेते हैं, राजनीति करियर की। साल 1982 से लेकर 85 तक उन्होंने एक ताकतवर मंत्री के तौर पर काम किया। इसके अगले ही साल यानी साल 1986 में महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बन गए। इसके बाद साल 1992 से लेकर 1998 तक 5 साल राज्यसभा सदस्य भी रहे।

साल 1999 में जिचकर फिर से राज्यसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए, फिर उन्होंने अपना ध्यान यात्राओं पर केंद्रित किया। देश के कई हिस्सों में गए और शिक्षा, धर्म के बारे में भाषण देते रहे। इसी दौरान उन्होंने यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।

डॉ. जिचकर के पास देश की सबसे बड़ी पर्सनल लाइब्रेरी भी थी, जिसमें 52000 से ज्यादा किताबें थीं। पढ़ाई-लिखाई के मामले में उनका नाम लिम्का बुक और वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। इसी के चलते वे भारत के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति के तौर पर सुमार हैं।

श्रीकांत जिचकर एक विद्या विषयक, पेंटर, प्रोफेशनल फोटोग्राफर और स्टेज एक्टर थे। साल 1992 में उन्होंने एक स्कूल की भी स्थापना की थी। फिर महाराष्ट्र में अकेले दम पर संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करी और उसके चांसलर बने।

आपको जानकर ताज्जुब होगा, कि ये सारे काम उन्होंने अपने जीवन के 48 साल की उम्र तक पूरे कर दिए थे।  02 जून 2004 की रात को डॉ. श्रीकांत जिचकर अपने दोस्त के फार्म हाउस से अपने घर की ओर निकले, खुद ही ड्राइव कर रहे थे। रास्ते में ही उनकी कार बस से टकरा गई और इस हादसे में मात्र 49 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। बेशक उनकी उम्र कम थी, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि वे दुनिया देखने नहीं बल्कि दुनिया को दिखाने आये थे।

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