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ब्रह्मोस मिसाइल: जानिए सबकुछ!

Manthan

Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan

हाइलाइट्स

-ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.

-इसे रूस और भारत ने मिलकर विकसित किया है.

-वजन तीन टन है और 450 किमी तक की दूरी तय कर सकती है.

-20 किमी की दूरी के बाद दिशा बदलने की भी क्षमता.

-तीनों सेनाओं में शामिल कर लिया गया है.

-ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में एक कहावत प्रसिद्द है- 'दागो और भूल जाओ'.

अब डिटेल में आते हैं!

हाल ही में ओडिशा तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया गया। जानकारी हो, कि ब्रह्मोस मिसाइल पहाड़ों के पीछे छिपे दुश्मनों का भी सर्वनाश कर सकती है. सफल परीक्षण के बाद ब्रह्मोस मिसाइल एक बार सुर्खियों में है. हालांकि चीन से चल रहे सीमा विवाद के चलते ब्रह्मोस मिसाइल पिछले कई महीनों से ख़बरों में बनी हुई है. तो आइए इस मिसाइल की खासियतें और इसका इतिहास जानते हैं…

इस मिसाइल के नाम की उत्पत्ति कैसे हुई?

दरअसल, ब्रह्मोस दो नदियों के नाम को मिलाकर बनाया गया है. रूस की मोस्कवा और भारत की ब्रह्मपुत्र नदी के नाम पर इस मिसाइल का नाम रखा गया है. क्योंकि इस मिसाइल को बनाने में भारत और रूस दोनों का योगदान है.

संक्षिप्त परिचय-

  • रूस और भारत ने संयुक्त रूप से इस मिसाइल को विकसित किया है, जिसमें रूस का 49.5 फीसदी और भारत का 50.05 फीसदी अधिकार यह कह लें योगदान माना गया है.
  • इस मिसाइल की क्षमता 450 किमी तक की दूरी तय करने की है.
  • इसके साथ ही यह मिसाइल 200 किलो का पारंपरिक वॉरहेड(युद्ध सामग्री) ले जाने की क्षमता रखती है .
  • 670 मिमी व्यास और नौ मीटर की लंबाई वाली मिसाइल का कुल वजन लगभग तीन टन है .
  • ब्रह्मोस 14 किमी तक की ऊंचाई पर जा सकती है, इसके साथ ही इसकी सबसे खास क्षमता यह है कि ये 20 किमी की दूरी पर दिशा बदल सकती है .

खासियतों पर नज़र दाल लेते हैं-

  • ब्रह्मोस को जमीन से तो लॉन्च किया ही जा सकता है इसके अलावा इसे पनडुब्बी, जहाज, एयरक्राफ्ट से भी लॉन्च किया जा सकता है.
  • इस मिसाइल की रफ़्तार अमेरिका की खास मानी जाने वाली मिसाइल टॉमहॉक से भी चार गुना ज्यादा तेज है.
  • जमीन और जहाज से लॉन्च होने पर यह मिसाइल 200 किलो तक की युद्धसामग्री ले जाने में सक्षम है.
  • और अगर इसे एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जाता है तो यह 300 किलो की युद्धसामग्री अपने साथ ले जा सकती है .
  • Maneuverable technology से लैस होने के चलते यह लक्ष्य को ध्वस्त करने के लिए रास्ता भी बदल सकती है.
  • इस मिसाइल के बारे में कहावत प्रचलित है कि दागो और भूल जाओ.

बता दें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल देश की सबसे आधुनिक और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल मानी जाती है. मान लीजिए कोई दुश्मन पहाड़ के पीछे छिपा बैठा है तो भी ये मिसाइल उसे खोज कर मारने की क्षमता रखती है. इसे भारत की तीनों प्रमुख सेनाओं में शामिल किया जा चुका है.

ब्रह्मोस मिसाइल का इतिहास-

ब्रह्मोस मिसाइल को भारत के रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के NPO Mashinostroyeniya ने संयुक्त रूप से मिलकर विकसित किया है, जिसे 12 जून, 2001 को पहली बार में ही सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया था. आईएनएस राजपूत पहला जहाज था, जिस पर साल 2005 में पहली बार मिसाइल को शामिल किया गया था। फिर सुखोई-30 एमकेआई प्लेटफॉर्म पर ब्रह्मोस मिसाइल की सफल एयर लॉन्चिंग किन गई थी. बता दें, ब्रह्मोस मिसाइल एक मध्यम रेंज की रेमजेट सुरपसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे युद्धपोतों, पनडुब्बियों, लड़ाकू विमानों और जमीन से दागा जा सकता है.

क्रूज मिसाइल क्या होती है?

क्रूज मिसाइल वो होती हैं जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरने की क्षमता रखती हैं और इसके चलते रडार की आंख धूल झोंक पाने में सफल होती हैं. ब्रह्मोस एक ऐसी मिसाइल है जिसकी शक्ति से चीन की रूह थरथराई हुई है. चीनी सेना का हमेशा यह कहना है कि अरूणाचल प्रदेश में सीमा पर ब्रह्मोस के तैनात होने  के बाद से उनके तिब्बत और यूनान प्रांत पर भारी खतरा मंडराने लगा है.

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